एच.एस.एफ.सी. के निदेशक


श्री दिनेश कुमार सिंह, विशिष्ट वैज्ञानिक 

 

श्री डी.के.सिंह, विशिष्‍ट वैज्ञानिक ने आई.आई.टी – बनारस हिंदु विश्‍वविद्यालय, वारणासी से इलेक्‍ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी में स्‍नातकोत्‍तर की उपाधि प्राप्‍त की और एच.बी.टी.आई,  कानपुर से इलेक्‍ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी में स्‍नातक की उपाधि प्राप्त की थी। इन्‍होंने वारणासी के क्‍वीन्‍स कॉलेज से पदवीपूर्व की शिक्षा ग्रहण की। समानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र में अपने वर्तमान दायित्‍व को संभालने से पूर्व, अपने इसरो में 35 वर्ष के दीर्घ कार्यकाल के दौरान, इन्‍होंन विभिन्‍न पदों को सुशोभित किया जिनमें निदेशक, रेडियो आवृत्ति प्रणाली समूह; समानव अंतरिक्ष उड़ान एवं उन्‍नत  प्रौद्योगिकी क्षेत्र  तथा सह-निदेशक, अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद शामिल हैं।

परिपत्र एवं प्रणाली डिजाइन और उपग्रह संचार एवं नौवहन विकास के क्षेत्र में इन्‍हें विशेषज्ञता हासिल है। इन्‍होंने तकनीकी एवं प्रबंधकीय की विभिन्‍न भूमिकाओं में उल्‍लेखनीय योगदान दिया है जैसे उप-प्रणाली  डिजाइनर से प्रणाली डिजाइनर तक, इसरो के संचार एवं नौवहन उपग्रहों के लिए परियोजना प्रबंधक से सह-परियोजना निदेशक तक जिनमें सन् 1989 में  इन्‍सैट-2  श्रृंखला से  लेकर आज  तक के उन्‍नत संचार उपग्रह तथा नाविक श्रृंखला तक के उपग्रह शामिल हैं।

इनके महत्‍वपूर्ण योगदानों में - उच्‍च क्षमतावाले संचार उपग्रह नीतभारों का डिजाइन एवं विकास, गगनयान के लिए कर्मीदल संचार प्रणाली, अंतरिक्ष आधारित परिमाण संचार प्रणाली, अंतरिक्ष आधारित लेज़र संचार प्रणाली, नौवहन उपग्रहों के लिए परमाणु आवृत्ति मानक, उच्‍च शक्ति के सूक्ष्‍मतरंग प्रवर्धक, इत्‍यादि महत्‍वपूर्ण योगदान हैं।

नीतभार प्रणाली डिजाइन में इन्‍हें प्राप्‍त विशेषज्ञता के कारण, बोईंग उपग्रह प्रणाली, अमरीका में  संचार उपग्रह विकास परियोजना हेतु इन्‍हें नीतभार विशेषज्ञ के रूप में प्रतिनियुक्‍त किया गया था। इसरो के प्रतिनिधि के रूप में  इन्‍होंने कई अंतरराष्‍ट्रीय मंचों में प्रतिभागिता की।

अंतरिक्षयान प्रौद्योगिकी में इनके योगदान के लिए इन्‍हें वर्ष 2013 में इसरो योग्‍यता पुरस्‍कार से  अलंकृत किया गया और वर्ष 20218 में ए.एस.आई. पुरस्‍कार से विभूषित किया गया। वर्ष 2022 में इन्‍हें अंतरराष्‍ट्रीय वैमानिकी अकादमी की प्रतिष्ठित सदस्‍यता प्रदान की गई। इनके कई राष्‍ट्रीय एवं अंतरराष्‍ट्रीय प्रकाशन छप चुके हैं और एक पेटेंट का श्रेय भी इन्‍हें प्राप्त है।